कालसर्प दोष पूजा त्र्यंबकेश्वर

पंडित विनोद शास्त्री गुरुजी

कालसर्प दोष पूजा त्र्यंबकेश्वर में कैसे करें?

कालसर्प दोष पूजा त्र्यंबकेश्वर में एक महत्वपूर्ण धार्मिक प्रक्रिया है, जो विशेष रूप से इस स्थान के साथ जुड़ी हुई है। त्र्यंबकेश्वर, जो नाशिक जिले में स्थित है, भगवान शिव का प्रसिद्ध मंदिर है। यहां पर कालसर्प दोष का निवारण शास्त्रों और पुरानी परंपराओं के अनुसार किया जाता है।

Kaal Sarp Dosh Puja

त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प दोष पूजा का अनुष्ठान 4-5 घंटे का होता है, जिसमें सभी आवश्यक धार्मिक क्रियाएं पूरी की जाती हैं, जो यजमान को उनके जीवन के विभिन्न मुद्दों से उबारने में मदद करती हैं। जब आप त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प दोष पूजा करने की योजना बनाते हैं, तो यह सुनिश्चित करना बहुत महत्वपूर्ण है कि पूजा के लिए शुभ मुहूर्त उपलब्ध है। इसके लिए आप त्र्यंबकेश्वर के जाने-माने पंडित, पंडित विनोद गुरुजी से मार्गदर्शन ले सकते हैं, जो पूजा के लिए सही समय और विधि के बारे में आपको महत्वपूर्ण जानकारी देंगे।

त्र्यंबकेश्वर शहर एक प्राचीन और पवित्र हिंदू तीर्थ स्थल है, जो नासिक रोड रेलवे स्टेशन से लगभग 38 किलोमीटर और नासिक शहर से 29 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यदि आप रेलवे से त्र्यंबकेश्वर जाना चाहते हैं, तो पहले आपको नासिक पहुंचना होगा, और फिर वहां से नासिक रोड से त्र्यंबकेश्वर जाने के लिए कई बसें उपलब्ध होती हैं। आप नासिक के किसी भी बस स्टॉप से भी बस लेकर त्र्यंबकेश्वर जा सकते हैं।

त्र्यंबकेश्वर पहुंचने के बाद, यह आपकी इच्छा पर निर्भर करता है कि आप पहले त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना चाहते हैं या फिर पूजा से पहले कालसर्प दोष पूजा करना चाहते हैं, ताकि आपकी कुंडली से दोष समाप्त हो सके और आपको शुद्धीकरण मिल सके।

पूजा सामग्री की व्यवस्था को ठीक से तैयार करने के लिए, हम आपको सुझाव देते हैं कि आप त्र्यंबकेश्वर आने से कम से कम दो दिन पहले हमें संपर्क करें, ताकि आपकी पूजा की सही व्यवस्था की जा सके। इसके अलावा, यदि आप त्र्यंबकेश्वर पहुंचने के बाद हमसे संपर्क करते हैं, तो हमारे सेवक आपको आपके स्थान से त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग या पूजा स्थल तक पहुंचाने की व्यवस्था करेंगे।

कालसर्प दोष पूजा त्र्यंबकेश्वर

Kaal Sarp Dosh Puja

यदि आप पूजा से एक दिन पहले त्र्यंबकेश्वर पहुंचते हैं, तो आपको एक रात के लिए कमरे की व्यवस्था करनी होगी और पूजा अगले दिन सुबह से शुरू की जाएगी।

कालसर्प दोष क्या है?

 कालसर्प दोष एक वैदिक ज्योतिषीय दोष है, जो तब उत्पन्न होता है जब जन्म कुंडली में सभी ग्रह सूर्य और शनि के बीच स्थित होते हैं, और राहु और केतु इन ग्रहों के बीच स्थित होते हैं। यह दोष जन्म कुंडली में एक संकीर्ण रेखा की तरह कार्य करता है और व्यक्ति के जीवन में अस्थिरता और समस्याओं को जन्म देता है।

कालसर्प दोष के प्रभाव:

  • यह व्यक्ति के जीवन में अनिश्चितता, दुर्घटनाएं, और लगातार संघर्ष उत्पन्न करता है।
  • मानसिक तनाव और मानसिक असंतुलन पैदा कर सकता है।
  • वित्तीय संकट, पारिवारिक विवाद, और शारीरिक अस्वस्थता का कारण बन सकता है।
  • शादी में देरी और परिवार में अशांति उत्पन्न कर सकता है।

पंडित विनोद शास्त्री गुरुजी के अनुसार, यदि यह दोष किसी की कुंडली में पाया जाता है, तो इसे शीघ्र निवारण के लिए पूजाएं और उपाय किए जाने चाहिए।

काल सर्प दोष के प्रकार

कालसर्प दोष एक विशेष ज्योतिषीय दोष है, जो जन्मकुंडली में राहु और केतु के ग्रह स्थितियों के कारण उत्पन्न होता है। यह दोष कुंडली में राहु और केतु के द्वारा उत्पन्न की जाने वाली बाधाओं और विघ्नों को दर्शाता है। इसके प्रकारों को उनके ग्रहों की स्थिति और घरों के अनुसार वर्गीकृत किया गया है। नीचे हम कालसर्प दोष के 12 प्रमुख प्रकारों का विस्तार से विवरण करेंगे:

Kaal Sarp Dosh Puja

1. अनंत कालसर्प दोष (Anant Kaal Sarp Dosh)

राहु: प्रथम भाव में (लग्न या जन्म भाव)
केतु: सप्तम भाव में (जीवनसाथी और विवाह भाव)

यह दोष तब उत्पन्न होता है जब राहु प्रथम भाव में और केतु सप्तम भाव में स्थित होते हैं। इस दोष के प्रभाव से व्यक्ति को जीवन में मानसिक दबाव, आत्मविश्वास की कमी, और शादी या जीवनसाथी के संबंध में समस्याएं आ सकती हैं। यह दोष विशेष रूप से जीवन के आरंभिक चरण में प्रभाव डालता है और व्यक्ति को जीवनसाथी या विवाह में संघर्षों का सामना करवा सकता है।

लक्षण/प्रभाव:

  • विवाह में समस्याएं।
  • मानसिक तनाव और आत्मविश्वास की कमी।
  • जीवनसाथी के साथ असहमति और विवाद।

2. कुलिक कालसर्प दोष (Kulik Kaal Sarp Dosh)

राहु: दूसरे भाव में (धन और संपत्ति भाव)
केतु: आठवें भाव में (मृत्यु, लंबी उम्र और आयु भाव)

कुलिक कालसर्प दोष तब उत्पन्न होता है जब राहु दूसरे भाव में और केतु आठवें भाव में होते हैं। इस दोष का प्रभाव व्यक्ति की धन-संपत्ति पर पड़ता है और व्यक्ति को वित्तीय संकट और अचानक धन हानि का सामना हो सकता है। इसके साथ ही, जीवन में शारीरिक कष्ट और उम्र से संबंधित समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।

लक्षण/प्रभाव:

  • वित्तीय संकट और धन हानि।
  • शारीरिक कष्ट और स्वास्थ्य समस्याएं।
  • अनहोनी घटनाओं का सामना करना।

3. वासुकी कालसर्प दोष (Vasuki Kaal Sarp Dosh)

राहु: तीसरे भाव में (संचार, भाई-बहन और साहस भाव)
केतु: नवम भाव में (धर्म, यात्रा और गुरु भाव)

वासुकी कालसर्प दोष तब उत्पन्न होता है जब राहु तीसरे भाव में और केतु नवम भाव में होते हैं। इस दोष का प्रभाव व्यक्ति की शिक्षा, धर्म और यात्रा से संबंधित कार्यों पर पड़ता है। व्यक्ति को अपने कर्मों और जीवन के मार्ग में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, और धार्मिक कार्यों में भी विघ्न उत्पन्न होते हैं।

लक्षण/प्रभाव:

  • धार्मिक कार्यों में विघ्न।
  • शैक्षिक जीवन में समस्याएं।
  • साहस की कमी और भाई-बहन से विवाद।

उपाय:

  • धार्मिक अनुष्ठान और गुरु पूजा।
  • शिक्षा और ज्ञान प्राप्ति के लिए यज्ञ और तंत्र-मंत्र।
  • आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए उपाय।

4. शंखपाल कालसर्प दोष (Shankhpal Kaal Sarp Dosh)

राहु: चौथे भाव में (मां, घर, सुख-शांति और संपत्ति भाव)
केतु: दसवें भाव में (करियर, नाम और प्रसिद्धि भाव)

यह दोष तब उत्पन्न होता है जब राहु चौथे भाव में और केतु दसवें भाव में स्थित होते हैं। इस दोष का प्रभाव व्यक्ति के पारिवारिक जीवन और करियर पर पड़ता है। व्यक्ति को घर और परिवार में अशांति का सामना करना पड़ता है, और करियर में रुकावटें आ सकती हैं। कार्यक्षेत्र में प्रतिष्ठा और सफलता में कमी हो सकती है।

लक्षण/प्रभाव:

  • पारिवारिक विवाद और घर में अशांति।
  • करियर में रुकावटें और विफलता।
  • प्रतिष्ठा और नाम में गिरावट।

उपाय:

  • घर में शांतिपूर्ण वातावरण बनाए रखें।
  • करियर के लिए विशेष पूजा और यज्ञ।
  • पारिवारिक अनुकूलता के लिए तंत्र-मंत्र का जाप।

5. पद्म कालसर्प दोष (Padma Kaal Sarp Dosh)

राहु: पंचम भाव में (बच्चे, शिक्षा और प्रेम भाव)
केतु: एकादश भाव में (लाभ, मित्र और इच्छाएं)

पद्म कालसर्प दोष तब उत्पन्न होता है जब राहु पंचम भाव में और केतु एकादश भाव में होते हैं। इस दोष के प्रभाव से व्यक्ति को संतान सुख और शिक्षा में विघ्न हो सकते हैं। इसके अलावा, व्यक्ति को मित्रों से धोखा और इच्छाओं की पूर्ति में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

लक्षण/प्रभाव:

  • संतान सुख में रुकावट।
  • शिक्षा में कठिनाई।
  • मित्रों से धोखा और इच्छाओं में असफलता।

उपाय:

  • संतान सुख के लिए विशेष पूजा।
  • शिक्षा में सफलता के लिए अनुष्ठान।
  • इच्छाओं की पूर्ति के लिए तंत्र-मंत्र का जाप।

6. महापद्म कालसर्प दोष (Mahapadma Kaal Sarp Dosh)

राहु: छठे भाव में (कष्ट, रोग और शत्रु भाव)
केतु: बारहवें भाव में (विदेश यात्रा, खर्च और मानसिक शांति)

महापद्म कालसर्प दोष तब उत्पन्न होता है जब राहु छठे भाव में और केतु बारहवें भाव में होते हैं। यह दोष व्यक्ति के स्वास्थ्य, मानसिक स्थिति और शत्रुओं से संबंधित परेशानियां उत्पन्न करता है। इसके कारण व्यक्ति को शारीरिक कष्ट, मानसिक तनाव, और बुरी आदतों का सामना करना पड़ सकता है।

लक्षण/प्रभाव:

  • स्वास्थ्य समस्याएं और मानसिक तनाव।
  • शत्रुओं से हानि और विवाद।
  • विदेशी यात्रा में विघ्न।

उपाय:

  • शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए विशेष उपाय।
  • शत्रु निवारण के लिए पूजा और यज्ञ।
  • मानसिक शांति के लिए ध्यान और साधना।

7. तक्षक कालसर्प दोष (Takshak Kaal Sarp Dosh)

राहु: सातवें भाव में (विवाह, साझेदारी और साझीदारों का भाव)
केतु: पहले भाव में (स्वयं, शारीरिक रूप और व्यक्तित्व का भाव)

तक्षक कालसर्प दोष तब उत्पन्न होता है जब राहु सातवें भाव में और केतु पहले भाव में होते हैं। यह दोष व्यक्ति के रिश्तों और विवाह में समस्याएं उत्पन्न करता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को साझेदारी और साझीदारों से भी धोखा मिल सकता है। साथ ही, यह दोष शारीरिक कष्ट और व्यक्तिगत समस्याएं भी उत्पन्न कर सकता है।

लक्षण/प्रभाव:

  • रिश्तों और विवाह में समस्याएं।
  • साझेदारी और व्यापार में विघ्न।
  • शारीरिक कष्ट और मानसिक समस्याएं।

उपाय:

  • रिश्तों के लिए तंत्र-मंत्र का जाप।
  • साझेदारी में सफलता के लिए पूजा।
  • शारीरिक स्वास्थ्य के लिए उपाय और उपचार।

8. कर्कोटक कालसर्प दोष (Karkotak Kaal Sarp Dosh)

राहु: आठवें भाव में (मृत्यु, आयु, और लम्बी उम्र का भाव)
केतु: दूसरे भाव में (धन, संपत्ति और परिवार का भाव)

कर्कोटक कालसर्प दोष तब उत्पन्न होता है जब राहु आठवें भाव में और केतु दूसरे भाव में होते हैं। यह दोष जीवन के संकटों, आयु में कमी, और परिवार में अशांति का कारण बनता है। इसके कारण व्यक्ति को वित्तीय समस्याएं और अचानक होने वाली दुर्घटनाओं का सामना भी करना पड़ सकता है।

लक्षण/प्रभाव:

  • जीवन में संकट और समस्याएं।
  • आयु में कमी और दुर्घटनाओं का डर।
  • परिवार में अशांति और तनाव।

उपाय:

  • आयु वर्धन के लिए विशेष पूजा।
  • दुर्घटनाओं से बचने के लिए तंत्र-मंत्र का जाप।
  • परिवार में शांति के लिए अनुष्ठान।

9. शंखचूड़ कालसर्प दोष (Shankhchud Kaal Sarp Dosh)

राहु: नवम भाव में (धर्म, यात्रा और गुरु का भाव)
केतु: तीसरे भाव में (संचार, साहस और भाई-बहन का भाव)

यह दोष तब उत्पन्न होता है जब राहु नवम भाव में और केतु तीसरे भाव में स्थित होते हैं। इस दोष के प्रभाव से व्यक्ति को धार्मिक कार्यों में विघ्न, यात्रा में असफलताएं और भाई-बहन से समस्याएं हो सकती हैं।

लक्षण/प्रभाव:

  • धार्मिक कार्यों में विघ्न।
  • यात्रा में समस्याएं।
  • भाई-बहन के साथ रिश्तों में समस्याएं।

उपाय:

  • गुरु पूजा और यात्रा अनुष्ठान।
  • भाई-बहन के साथ सामंजस्य स्थापित करने के उपाय।

10. घातक कालसर्प दोष (Ghatak Kaal Sarp Dosh)

राहु: दसवें भाव में (करियर और नाम का भाव)
केतु: चौथे भाव में (मां, घर और सुख-शांति का भाव)

घातक कालसर्प दोष तब उत्पन्न होता है जब राहु दसवें भाव में और केतु चौथे भाव में होते हैं। यह दोष व्यक्ति के करियर और पारिवारिक जीवन को प्रभावित करता है, जिससे करियर में विफलता और परिवार में अशांति का सामना करना पड़ सकता है।

लक्षण/प्रभाव:

  • करियर में विफलता।
  • पारिवारिक जीवन में समस्याएं।

उपाय:

  • करियर में सफलता के लिए पूजा और यज्ञ।
  • पारिवारिक जीवन में शांति के लिए तंत्र-मंत्र।

11. विषधर कालसर्प दोष (Vishadhar Kaal Sarp Dosh)

राहु: एकादश भाव में (लाभ, मित्र और इच्छाएं)
केतु: पंचम भाव में (संतान, शिक्षा और प्रेम भाव)

विषधर कालसर्प दोष तब उत्पन्न होता है जब राहु एकादश भाव में और केतु पंचम भाव में होते हैं। यह दोष व्यक्ति को मित्रों से धोखा और संतान सुख में विघ्न उत्पन्न कर सकता है।

लक्षण/प्रभाव:

  • मित्रों से धोखा।
  • संतान सुख में रुकावटें।

उपाय:

  • संतान सुख के लिए विशेष पूजा।
  • मित्रों के साथ संबंधों को सुधारने के लिए उपाय।

12. शेषनाग कालसर्प दोष (Sheshnag Kaal Sarp Dosh)

राहु: बारहवें भाव में (विदेश, खर्च और मानसिक शांति का भाव)
केतु: छठे भाव में (कष्ट, रोग और शत्रु का भाव)

यह दोष तब उत्पन्न होता है जब राहु बारहवें भाव में और केतु छठे भाव में स्थित होते हैं। इस दोष का प्रभाव व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक कष्ट, शत्रुओं से परेशानी और विदेशी यात्राओं में विघ्न उत्पन्न करता है।

लक्षण/प्रभाव:

  • मानसिक शांति की कमी।
  • शारीरिक कष्ट और शत्रुओं से समस्याएं |इन सभी प्रकारों के कालसर्प दोषों के निवारण के लिए विशिष्ट पूजा, मंत्र जाप, और तंत्र-मंत्र का उपयोग किया जाता है। यदि आप अपनी कुंडली में किसी भी प्रकार के कालसर्प दोष का सामना कर रहे हैं, तो विशेषज्ञ पंडित से मार्गदर्शन प्राप्त करना अत्यंत आवश्यक होता है।
 

भारत में कालसर्प दोष पूजा कहाँ करें?

कालसर्प दोष पूजा त्र्यंबकेश्वर

कालसर्प दोष पूजा हिंदू धर्म में एक विशेष पूजा है जो व्यक्ति के जीवन में आने वाली समस्याओं, कष्टों और विघ्नों को दूर करने के लिए की जाती है। यह पूजा विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए है जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष होता है। कालसर्प दोष तब उत्पन्न होता है जब व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में होते हैं, और यह दोष व्यक्ति के जीवन में अनेक प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे पारिवारिक समस्याएँ, मानसिक तनाव, आर्थिक संकट, या शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएँ।

भारत में कालसर्प दोष पूजा करने के लिए कई पवित्र स्थान हैं, लेकिन त्र्यंबकेश्वर (Trimbakeshwar) मंदिर को विशेष महत्व प्राप्त है। त्र्यंबकेश्वर महाराष्ट्र के नाशिक जिले में स्थित है और इसे एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है। यहाँ पर कालसर्प दोष पूजा का विशेष महत्व है, और यह पूजा यहां के पंडित विनोद शास्त्री गुरुजी सर्वश्रेष्ठ एवं अनुभवि गुरुजी द्वारा सही विधि और मंत्रों के साथ की जाती है।

त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प दोष पूजा का महत्व

  1. भगवान त्र्यंबकेश्वर (शिव) का आशीर्वाद: त्र्यंबकेश्वर मंदिर भगवान शिव का एक प्रमुख स्थल है और इसे विशेष रूप से उनके त्र्यंबक रूप के लिए जाना जाता है। यहाँ पर भगवान शिव के साथ-साथ उनका रूप भगवान विष्णु और ब्रह्मा का भी दर्शाया जाता है, जो त्रिदेव के सम्मिलित रूप को दर्शाता है। जब व्यक्ति त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प दोष पूजा करता है, तो वह भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करता है, जो उसके जीवन के सभी संकटों और बाधाओं को समाप्त करने के लिए सक्षम हैं।

  2. शुद्ध और पवित्र स्थान: त्र्यंबकेश्वर मंदिर एक अत्यधिक पवित्र स्थान है, जहां हर वर्ष लाखों भक्त आते हैं। यह स्थान विशेष रूप से शांति और आत्मिक उन्नति के लिए उपयुक्त माना जाता है। इस मंदिर का वातावरण बेहद शांति और दिव्यता से भरा हुआ है, जिससे पूजा और प्रार्थना का प्रभाव और भी अधिक गहरा हो जाता है। कालसर्प दोष पूजा करने से व्यक्ति को शांति मिलती है और जीवन में आ रही समस्याएँ हल होती हैं।

  3. विधि और प्रक्रिया: त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कालसर्प दोष पूजा गुरुजी द्वारा अत्यधिक शुद्धता और विधिपूर्वक की जाती है। इसमें विशेष रूप से मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जो व्यक्ति के कुंडली के दोष को दूर करने में सहायक होते हैं। पूजा के दौरान विशेष यज्ञ और हवन भी किया जाता है। इन सभी क्रियाओं का उद्देश्य दोष को समाप्त कर व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति करना होता है।

  4. विशेष पूजा कार्यक्रम: कालसर्प दोष पूजा के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान होते हैं, जैसे कि नागर पाठ, मंत्र जाप, ग्रह शांति हवन, आदि। त्र्यंबकेश्वर में ये सभी अनुष्ठान विशेष रूप से आपके कुंडली के दोष को सुधारने के लिए किए जाते हैं। पूजा का सही समय और वातावरण को ध्यान में रखते हुए, यह अनुष्ठान व्यक्ति के जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि लाने में सहायक होते हैं।

  5. पूजा के लाभ:

    • व्यक्ति के जीवन में आ रही अड़चनों और बाधाओं का निवारण होता है।
    • पारिवारिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
    • शारीरिक और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
    • आर्थिक समस्याओं और कर्ज से मुक्ति मिलती है।
    • कार्यक्षेत्र में सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

ऊपर पूजा का बहुत ही संक्षिप्त विवरण दिया गया है, अधिक विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए आप गुरुजी से संपर्क करें।

त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प दोष पूजा ऑनलाइन

त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प दोष पूजा ऑनलाइन

क्या आप अपनी कुंडली में काल सर्प दोष या राहु-केतु दोष को दूर करने के लिए त्र्यंबकेश्वर में काल सर्प दोष पूजा ऑनलाइन करना चाहते हैं, लेकिन यह नहीं जानते कि यह पूजा कैसे कराई जाए? अगर ऐसा है, तो आपको ज्यादा चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। यहाँ आपको काल सर्प दोष पूजा ऑनलाइन करने के सही मार्गदर्शन और उपाय मिलेंगे।

यदि आपने त्र्यंबकेश्वर के ज्योतिर्लिंग में काल सर्प दोष पूजा के बारे में सुना है, तो आपको यह जानना जरूरी है कि यह पूजा विशेष रूप से प्रभावी मानी जाती है। पवित्र शास्त्रों के अनुसार, त्र्यंबकेश्वर में की जाने वाली काल सर्प दोष पूजा अन्य स्थानों पर की जाने वाली पूजा से कहीं अधिक शक्तिशाली और लाभकारी होती है। इसके पीछे कई कारण हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है इस स्थान की दिव्यता और महत्व।

त्र्यंबकेश्वर में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की विशेष दिव्य उपस्थिति है। यह एकमात्र स्थान है जहां इन तीनों देवताओं का संगम होता है। यही कारण है कि त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग को अद्वितीय माना जाता है। इस स्थान की पवित्रता और दिव्यता यह सुनिश्चित करती है कि यहाँ की जाने वाली पूजा निश्चित रूप से प्रभावी होगी और आपको वांछित परिणाम प्राप्त होंगे। इसलिए, चाहे आप त्र्यंबकेश्वर में व्यक्तिगत रूप से पूजा कर रहे हों या ऑनलाइन पूजा का आयोजन करवा रहे हों, इस स्थल की दिव्यता आपके दोषों को दूर करने में पूरी तरह सक्षम है।

शास्त्रों और वेदों के अनुसार, काल सर्प दोष पूजा का सही रूप से आयोजन त्र्यंबकेश्वर के पवित्र परिसर में होना चाहिए, ताकि इसे अधिक प्रभावी और लाभकारी माना जा सके।

हालांकि, कुछ लोग शारीरिक रूप से त्र्यंबकेश्वर जाने में सक्षम नहीं होते हैं, इसके पीछे विभिन्न कारण हो सकते हैं – जैसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, यात्रा पर आने वाली बाधाएं या अन्य व्यक्तिगत जिम्मेदारियां, जो यात्रा को कठिन बना देती हैं। इन परिस्थितियों में, ऑनलाइन काल सर्प दोष पूजा कराने का विकल्प एक उचित और सुविधाजनक समाधान के रूप में सामने आता है।

त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प दोष पूजा ऑनलाइन

जब कोई व्यक्ति त्र्यंबकेश्वर में काल सर्प दोष पूजा के लिए ऑनलाइन पद्धति अपनाता है, तो वह अपनी शारीरिक सीमाओं और आध्यात्मिक उद्देश्यों के बीच संतुलन स्थापित करता है। यह विधि उन्हें अपने स्थान पर रहते हुए त्र्यंबकेश्वर के पवित्र वातावरण और दिव्य ऊर्जा से जुड़ने का अवसर प्रदान करती है। हालांकि यह अनुभव मंदिर में मौजूद होने जैसा नहीं हो सकता, लेकिन काल सर्प दोष पूजा का उद्देश्य और विश्वास उतना ही महत्वपूर्ण होते हैं। काल सर्प दोष पूजा की सभी मंत्रों और विधियों का पालन त्र्यंबकेश्वर मंदिर के आंगन में और यजमान के घर में किया जाता है। गुरुजी द्वारा दिए गए विशिष्ट मंत्रों का उच्चारण और उनका सही तरीके से पालन करना अनिवार्य होता है, जो काल सर्प दोष के निवारण के लिए आवश्यक हैं। ऑनलाइन काल सर्प दोष पूजा में भाग लेने से पूजा की आध्यात्मिक प्रभावशीलता पर कोई असर नहीं पड़ता। यह तकनीकी दृष्टिकोण आशीर्वाद प्राप्त करने और काल सर्प दोष के निवारण के लिए एक अन्य माध्यम बन जाता है। यह विचार भौगोलिक दूरी को समाप्त कर व्यक्ति की सच्ची श्रद्धा और इरादे पर केंद्रित होता है। चाहे पूजा व्यक्तिगत रूप से हो या ऑनलाइन, यदि वह सच्चे मन से की जाए, तो त्र्यंबकेश्वर की दिव्य ऊर्जा और ब्रह्मांडीय शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं और काल सर्प दोष का निवारण होता है।

कालसर्प दोष पूजा ऑनलाइन कैसे करें?

कालसर्प दोष पूजा ऑनलाइन कैसे करें?

 

अगर आप अपनी कुंडली में काल सर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) को दूर करने के लिए त्र्यंबकेश्वर में काल सर्प दोष पूजा ऑनलाइन करना चाहते हैं, तो यह प्रक्रिया काफी सरल है। काल सर्प दोष पूजा, जो विशेष रूप से त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में की जाती है, एक शक्तिशाली और प्रभावी उपाय माना जाता है। यदि आप शारीरिक रूप से त्र्यंबकेश्वर नहीं जा सकते हैं, तो आप इसे ऑनलाइन माध्यम से भी कर सकते हैं। यहां बताया गया है कि आप काल सर्प दोष पूजा ऑनलाइन कैसे कर सकते हैं:

1. ऑनलाइन पूजा बुकिंग

  • सबसे पहले, आपको एक प्रतिष्ठित और विश्वसनीय वेब पोर्टल या प्लेटफार्म से काल सर्प दोष पूजा की बुकिंग करनी होगी।
  • त्र्यंबकेश्वर मंदिर के आधिकारिक वेबसाइट या किसी भरोसेमंद गुरुजी या मंदिर से जुड़े वेबसाइट पर जाकर पूजा के लिए आवेदन करें।
  • पूजा के समय, विधि, और अन्य आवश्यक विवरण आपको वेबसाइट पर उपलब्ध होंगे।

2. पूजा के लिए जानकारी प्रदान करना

  • पूजा के लिए आपको अपनी जन्म कुंडली और विशेष रूप से काल सर्प दोष की जानकारी देना होती है। यह जानकारी पूजा करने वाले गुरुजी को मार्गदर्शन देने में मदद करती है।
  • आपको अपने नाम, जन्म तिथि, समय, और स्थान के साथ जन्म कुंडली की जानकारी देनी होगी ताकि पूजा सही तरीके से की जा सके।

3. पद्धति और मंत्रों का पालन

  • गुरुजी द्वारा दिए गए विशेष मंत्रों और पूजा की विधि का पालन आपको ऑनलाइन पूजा के दौरान करना होगा।
  • यदि पूजा आपके घर पर होती है, तो गुरुजी द्वारा निर्धारित मंत्रों का उच्चारण आपके घर में किया जाएगा, जो त्र्यंबकेश्वर मंदिर के आंगन में किए जा रहे होते हैं।

4. पूजा का लाइव प्रसारण

  • कई मंदिरों और पूजा आयोजक सेवाएं पूजा का लाइव प्रसारण करते हैं। इस दौरान, आप पूजा की प्रक्रिया को ऑनलाइन देख सकते हैं और अपने घर से जुड़ सकते हैं।
  • आप लाइव पूजा में शामिल हो सकते हैं और गुरुजी से सही दिशा-निर्देश प्राप्त कर सकते हैं।

5. आशीर्वाद और परिणाम

  • पूजा के बाद, गुरुजी आपको आशीर्वाद देंगे और आपको काल सर्प दोष के निवारण के संकेत प्राप्त होंगे।
  • गुरुजी के आशीर्वाद और त्र्यंबकेश्वर की पवित्रता के माध्यम से आपके जीवन में शांति और सकारात्मकता आएगी, और काल सर्प दोष का असर कम होगा।

6. पूजा सामग्री और प्रसाद

  • कुछ ऑनलाइन पूजा सेवाएं पूजा के बाद प्रसाद भेजने की भी व्यवस्था करती हैं। आप प्रसाद प्राप्त कर सकते हैं जो विशेष रूप से त्र्यंबकेश्वर मंदिर से भेजा जाता है|

ऑनलाइन काल सर्प दोष पूजा के माध्यम से आप त्र्यंबकेश्वर के दिव्य आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन से काल सर्प दोष के प्रभाव को कम कर सकते हैं। यह विधि आपके लिए एक सुविधाजनक और प्रभावी तरीका है, जो शारीरिक रूप से वहां नहीं पहुंच पाने की स्थिति में भी आपको पूजा का लाभ देती है। 

तो अगर आप अपनी काल सर्प दोष पूजा ऑनलाइन करवाना चाहते है तो उसे अभी बुक करें

काल सर्प दोष पूजा सामग्रियाँ (Kaal Sarp Dosh Puja Samagri)

काल सर्प दोष, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक प्रमुख दोष माना जाता है, जो तब उत्पन्न होता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच होते हैं। यह दोष जीवन में अनेकों परेशानियाँ और अड़चने उत्पन्न कर सकता है, जैसे कि आर्थिक संकट, वैवाहिक जीवन में समस्याएं, करियर में रुकावटें, मानसिक तनाव, आदि। इस दोष से मुक्ति पाने के लिए काल सर्प दोष पूजा की जाती है, जो विशेष रूप से त्र्यंबकेश्वर, महाराष्ट्र में प्रभावी मानी जाती है।

इस पूजा में कुछ विशेष सामग्रियों का उपयोग किया जाता है, जिनका महत्व पूजा की सफलता और प्रभावशीलता में महत्वपूर्ण होता है।

काल सर्प दोष पूजा सामग्रियाँ:

  1. सभी प्रकार की पूजा सामग्री:

    • कलश: पूजा स्थल पर एक पवित्र जल से भरा हुआ कलश रखा जाता है। यह ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक होता है।
    • मांगलिक दीपक: दीपक पूजा के दौरान निरंतर जलता है और यह शांति एवं समृद्धि का प्रतीक है।
    • चंदन: चंदन का पेस्ट काल सर्प दोष पूजा में उपयोग किया जाता है। यह शुद्धता और शांति लाने का काम करता है।
    • सिंदूर और हल्दी: ये दो सामग्रियाँ विशेष रूप से पूजा के दौरान इस्तेमाल की जाती हैं और शुभता को आकर्षित करने में मदद करती हैं।
    • फूल: पूजा के दौरान अलग-अलग प्रकार के फूलों का उपयोग किया जाता है, खासकर बेला, चमेली, और गुलाब के फूल।
  2. राहु और केतु की मूर्तियाँ या चित्र:

    • पूजा में राहु और केतु की मूर्तियाँ या चित्र की पूजा की जाती है, ताकि इन ग्रहों के प्रभाव को शांत किया जा सके।
  3. नवग्रह अनुष्ठान की सामग्री:

    • पूजा में नवग्रह के विभिन्न ग्रहों को संतुलित करने के लिए उनकी पूजा की जाती है, जिनमें विशेष रूप से राहु और केतु शामिल होते हैं।
  4. कर्पूर:

    • पूजा के दौरान कर्पूर का उपयोग किया जाता है। इसे जलाने से वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  5. पानी और दूध:

    • विशेष रूप से राहु और केतु को अर्पित करने के लिए पानी और दूध का प्रयोग किया जाता है।
  6. सात प्रकार की अनाज:

    • पूजा में सात प्रकार के अनाज का इस्तेमाल किया जाता है, जिन्हें विशेष रूप से राहु और केतु के ग्रह दोषों को शांत करने के लिए चुना जाता है।
  7. घी:

    • पूजा में घी का दीपक जलाना शुभ माना जाता है। इससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में शांति बनी रहती है।
  8. पत्तियां और बेलपत्र:

    • बेलपत्र का उपयोग पूजा में विशेष रूप से किया जाता है क्योंकि यह भगवान शिव को बहुत प्रिय होता है। त्र्यंबकेश्वर में इस प्रकार के पूजा अनुष्ठान में बेलपत्र का बहुत महत्व होता है।
  9. माला और रुद्राक्ष:

    • पूजा में रुद्राक्ष की माला का उपयोग मंत्र जाप करने के लिए किया जाता है, जिससे मन को शांति मिलती है और आत्मा की शुद्धि होती है।
  10. सिद्ध तंत्र

  11. चांदी के नाग (Chandi Ke Naag) शब्द का अर्थ है चांदी से बने नाग या सर्प के आकार की मूर्तियाँ। यह विशेष रूप से धार्मिक या पूजा संबंधी उपयोगों के लिए बनाई जाती हैं और ज्योतिष शास्त्र में इनका महत्व होता है। चांदी के नाग का उपयोग काल सर्प दोष पूजा, नवग्रह पूजा, या अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में किया जा सकता है।

    इन चांदी के नागों का विशेष महत्व है क्योंकि यह राहु और केतु ग्रहों के प्रभाव को शांत करने के लिए उपयोग किए जाते हैं, खासकर जब किसी व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प दोष पाया जाता है। इसके अलावा, चांदी का धातु शुद्धता और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसे पूजा में अधिक महत्व दिया जाता है।

काल सर्प दोष पूजा में इन सामग्रियों का सही तरीके से उपयोग करने से दोष के निवारण में मदद मिलती है। पूजा के दौरान सभी सामग्रियाँ ध्यानपूर्वक और सही विधि से इस्तेमाल की जाती हैं, ताकि व्यक्ति के जीवन में आ रही समस्याओं का समाधान हो सके। त्र्यंबकेश्वर में की जाने वाली काल सर्प दोष पूजा विशेष रूप से प्रभावी मानी जाती है और इसका उद्देश्य जीवन में शांति, समृद्धि, और खुशहाली को लाना होता है।

कालसर्प दोष पूजा खर्च / कालसर्प दोष पूजा त्र्यंबकेश्वर

क्या आप यह जानना चाहते हैं कि त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प दोष पूजा का कुल खर्च कितना होगा?

कालसर्प दोष पूजा का खर्च उस दक्षिणा से संबंधित है जो पंडित जी आपकी पूजा के लिए लेंगे, जिसमें सभी आवश्यक अनुष्ठान और सामग्री शामिल हैं, जैसा कि हमने ऊपर कालसर्प दोष पूजा विधि में बताया है।

अगर आप कालसर्प दोष पूजा के खर्च के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप गुरुजी से संपर्क कर सकते हैं या फॉर्म भर सकते हैं।

कालसर्प दोष के लाभ

  1. काल सर्प दोष पूजा से जीवन में आ रही समस्याओं का समाधान होता है।
  2. यह पूजा ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम करती है।
  3. पूजा से स्वास्थ्य समस्याओं में सुधार होता है।
  4. यह पूजा आर्थिक संकट और बाधाओं को दूर करने में मदद करती है।
  5. परिवार में सुख-शांति और सामंजस्य बढ़ता है।
  6. मानसिक तनाव और चिंता को कम करने में मदद करती है।
  7. यह पूजा जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
  8. व्यक्ति की किस्मत में सुधार और सफलता के रास्ते खुलते हैं।
  9. इससे वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
  10. पूजा से धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।

कालसर्प दोष के लक्षण और प्रभाव

 

  1. स्वास्थ्य समस्याएं: कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्तियों को अक्सर स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं जैसे अनिद्रा, सिरदर्द, मानसिक तनाव, और किसी विशेष रोग का सामना करना पड़ता है।

  2. व्यावसायिक संकट: व्यवसाय में बाधाएं, नुकसान और निरंतर संघर्ष देखने को मिलता है। सफलता के बावजूद निरंतर समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

  3. वित्तीय समस्याएं: आर्थिक रूप से लगातार परेशानी होती है, पैसों की कमी और अचानक खर्चों का सामना करना पड़ता है।

  4. व्यक्तिगत जीवन में तनाव: वैवाहिक जीवन और परिवार में अनबन, समझ में कमी, और रिश्तों में समस्याएं आती हैं।

  5. मानसिक असंतुलन: कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को मानसिक चिंता, घबराहट, और उदासी जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है।

  6. आध्यात्मिक समस्या: व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति में रुकावटें आ सकती हैं, जैसे ध्यान या साधना में ध्यान की कमी और भगवान से संबंध में कठिनाई।

  7. यात्रा में विघ्न: यात्रा करते समय अनजाने में दुर्घटनाएं, समस्याएं और हानियां हो सकती हैं।

  8. शुभ कार्यों में विघ्न: किसी भी अच्छे कार्य को शुरू करते समय अवरोध या असफलता का सामना करना पड़ता है।

  9. लंबे समय तक दुख और परेशानी: व्यक्ति लंबे समय तक समस्याओं से जूझता है और समाधान में कठिनाई महसूस करता है।

  10. सामाजिक रिश्तों में कमी: समाज और रिश्तों में अवरोध और अपमान की स्थितियां उत्पन्न होती हैं।

इन लक्षणों को ध्यान में रखते हुए, कालसर्प दोष पूजा और उपायों को करना जरूरी होता है, ताकि इन समस्याओं से निपटा जा सके और जीवन में संतुलन और शांति प्राप्त की जा सके।

कालसर्प दोष निवारण

कालसर्प दोष एक ऐसा ग्रहदोष है जो कुंडली में सभी ग्रहों के राहु और केतु के बीच स्थित होने पर उत्पन्न होता है। यह दोष व्यक्ति के जीवन में कई समस्याएँ, दुख और अड़चनें उत्पन्न कर सकता है। इस दोष का निवारण करने के लिए त्र्यंबकेश्वर, जो महाराष्ट्र में स्थित एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग है, वहाँ कालसर्प दोष के निवारण हेतु पूजा और अनुष्ठान करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। त्र्यंबकेश्वर में विशेष रूप से इस दोष को समाप्त करने के लिए कर्मकांड और साधना की जाती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि लौटती है। त्र्यंबकेश्वर के पवित्र स्थान पर आकर इस दोष से मुक्ति पाने की मान्यता है और वहाँ के पूजापाठ से तात्कालिक सुधार भी देखने को मिलते हैं।

कालसर्प दोष के उपाय

कालसर्प दोष को कुंडली से निकालने के उपाय (विस्तार से):

कालसर्प दोष एक ऐसा ग्रह दोष है जो तब उत्पन्न होता है जब जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं। यह दोष व्यक्ति के जीवन में मानसिक तनाव, कठिनाइयों, असफलताओं, और पारिवारिक अशांति का कारण बन सकता है। कालसर्प दोष से बचने और उसे दूर करने के लिए विभिन्न उपाय किए जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख उपाय नीचे विस्तार से बताए गए हैं, जिनमें त्र्यंबकेश्वर का महत्व भी शामिल है।

  1. त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प दोष निवारण पूजा
    त्र्यंबकेश्वर, जो महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है, एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग है और इसे कालसर्प दोष निवारण के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। यहाँ पर कालसर्प दोष को शांत करने के लिए विशेष पूजा, अनुष्ठान, और यज्ञ आयोजित किए जाते हैं। त्र्यंबकेश्वर में आने से ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है और यह पूजा बहुत प्रभावशाली मानी जाती है। यहां शिवजी की उपासना और राहु-केतु के शांति अनुष्ठान से दोष का प्रभाव दूर होता है।

  2. नाग पूजा और सर्पदर्शन
    कालसर्प दोष को दूर करने के लिए नाग देवता की पूजा करना एक प्रभावी उपाय है। विशेष रूप से त्र्यंबकेश्वर में नाग पूजा करना और वहां के पवित्र स्थानों पर जाकर सर्पों का दर्शन करना बहुत लाभकारी माना जाता है। नाग पूजा से राहु और केतु के नकारात्मक प्रभावों को शांत किया जा सकता है। इसके साथ ही सर्पदर्शन के लिए किसी पवित्र स्थान पर जाना और वहां विशेष पूजा अर्चना करना चाहिए।

  3. राहु और केतु के यंत्र का प्रयोग
    त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प दोष निवारण के लिए राहु और केतु के यंत्र का पूजन भी किया जाता है। इन यंत्रों का स्थापित करना और उनका विधिपूर्वक पूजन करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिल सकती है। इन यंत्रों को घर में स्थापित करने से दोष के प्रभाव में कमी आती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

  4. राहु-केतु के मंत्रों का जाप
    कालसर्प दोष को दूर करने के लिए विशेष मंत्रों का जाप भी किया जाता है। त्र्यंबकेश्वर में विशेष रूप से “ॐ रां राहवे नमः” और “ॐ ऎं कें केतवे नमः” मंत्रों का जाप किया जाता है। इन मंत्रों का जाप नियमित रूप से करने से राहु और केतु के दुष्प्रभावों में कमी आती है और व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है।

  5. पानी में तर्पण और पूजा
    त्र्यंबकेश्वर में पवित्र जल से तर्पण करना और नदी में स्नान करना भी कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए प्रभावी उपाय है। तर्पण करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और साथ ही राहु-केतु के प्रभावों को भी कम किया जा सकता है। त्र्यंबकेश्वर के पास स्थित गोदावरी नदी में स्नान करना विशेष रूप से लाभकारी होता है।

  6. सर्प दान और गोदान
    कालसर्प दोष को दूर करने के लिए सर्प दान करना एक महत्वपूर्ण उपाय है। विशेष रूप से त्र्यंबकेश्वर के पवित्र स्थानों पर जाकर सर्प मूर्तियों या आभूषणों का दान किया जाता है। इसके साथ ही गोदान करना और ब्राह्मणों को भोजन कराना भी इस दोष से मुक्ति पाने के लिए आवश्यक है।

  7. शिव पूजा और रुद्राभिषेक
    त्र्यंबकेश्वर में शिव की पूजा और रुद्राभिषेक करने से भी कालसर्प दोष समाप्त होता है। रुद्राभिषेक एक विशेष पूजा है, जिसमें भगवान शिव को विशेष रूप से जल, दूध, शहद और गंगाजल से अभिषेक किया जाता है। यह पूजा व्यक्ति को जीवन में सुख और समृद्धि लाने में सहायक होती है और कालसर्प दोष से मुक्ति प्रदान करती है।

इन सभी उपायों को ध्यानपूर्वक और सही विधि से करने से कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है और व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। त्र्यंबकेश्वर का महत्व इस संदर्भ में बहुत अधिक है क्योंकि यहां के पवित्र स्थानों पर पूजा और अनुष्ठान से विशेष लाभ मिलता है।

काल सर्प दोष पूजा के (मुख्य) उपाय

कालसर्प दोष पूजा के उपाय

 

  1. विद्वान ब्राह्मणों से पूजा अनुष्ठान:
    यदि व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष है, तो उसे विद्वान ब्राह्मणों द्वारा उपयुक्त ग्रंथों में वर्णित पूजा और अनुष्ठान करना चाहिए। इस प्रक्रिया से शुभ फल प्राप्त होते हैं और पूर्व जन्म के दोषों का नाश होता है। यदि दोष अत्यधिक तीव्र या गंभीर हो, तो यह उपाय 2 या 3 बार करना चाहिए, ताकि दोष पूरी तरह समाप्त हो सकें।

  2. महिलाओं के लिए वड़ा वृक्ष की प्रदक्षिणा:
    यदि किसी महिला की कुंडली में कालसर्प दोष है और वह संतान प्राप्ति के लिए पूजा करने में असमर्थ हैं, तो उन्हें प्रतिदिन वड़ा वृक्ष की 108 प्रदक्षिणा करनी चाहिए। तीन सौ दिनों में 28,000 प्रदक्षिणा करने से सभी दोष दूर होते हैं और संतान की प्राप्ति होती है।

  3. लघुद्रण और शिव पूजा:
    संकल्पपूर्वक लघुद्रण करें और नियमित रूप से शिव की पूजा करें। रुद्रसूक्त से पवित्र जल से स्नान करें और शिव की पूजा करें, इससे कालसर्प योग की अशुभता कम हो जाती है। यह उपाय विशेष रूप से जीवन में शांति और समृद्धि लाने के लिए महत्वपूर्ण है।

  4. तांबे का नाग चढ़ाना:
    शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए तांबे का नाग बनवाना चाहिए। इस नाग को ब्राह्मणों का सम्मान प्राप्त करने के बाद, सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जब कोई नहीं देख रहा हो, शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए। फिर इसे बहते जल (नदी) में छोड़ देना चाहिए। इस उपाय का अद्भुत प्रभाव होता है और कालसर्प योग की अशुभता दूर हो जाती है।

  5. पलास के पेड़ के लाल फूलों से स्नान:
    पलास के पेड़ के लाल फूलों को सुखाकर कूटकर पाउडर बना लें। इस पाउडर में गौमूत्र मिला लें। इसे धूप में सुखा लें। फिर प्रत्येक बुधवार को नहाने के पानी में इसका थोड़ा सा चूर्ण डालकर स्नान करें। इस प्रकार 72 बुधवार तक यह स्नान करने से कालसर्प योग के दुष्प्रभाव दूर हो जाते हैं। यह उपाय विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है।

  6. काले कपड़े पर उदीद या मूंग रखकर राहु मंत्र का जाप:
    प्रत्येक बुधवार को काले कपड़े पर उदीद या मूंग रखनी चाहिए। इसके बाद ‘ॐ रां राहवे नमः’ मंत्र का 101 बार जाप करें। फिर इस उदीद या मूंग को काले वस्त्र के साथ किसी भिखारी को दान कर दें या बहते नदी के जल में छोड़ दें। यह व्रत 72 बुधवार तक करना चाहिए। इस उपाय से कालसर्प दोष के प्रभाव में कमी आती है।

  7. कालसर्प योग की अंगूठी धारण करें:
    कालसर्प दोष के निवारण के लिए एक विशेष अंगूठी की प्राणप्रतिष्ठा करानी चाहिए। इसे बुधवार के दिन सूर्योदय के समय धारण करें। इस अंगूठी को पहनने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होता है। साथ ही, शुभ दिन पर गरीबों को दान देना चाहिए या किसी ब्राह्मण को भोजन के लिए आमंत्रित करना चाहिए। इस उपाय से जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं और दोष समाप्त होता है।

  8. नाग पंचमी का व्रत और नवनाग स्त्रोत का पाठ:
    नाग पंचमी के दिन व्रत करना और नवनाग स्त्रोत का पाठ करना कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए अत्यंत प्रभावी उपाय है। नाग पंचमी के दिन विशेष रूप से नवनाग स्त्रोत का पाठ करके, व्यक्ति कालसर्प दोष के प्रभाव से छुटकारा पा सकता है। यह उपाय जीवन में समृद्धि और शांति लाने में मदद करता है।

  9. यदि किसी व्यक्ति के बहुत से शत्रु हैं और उसके कार्यों में लगातार रुकावटें आ रही हैं, तो उसे चांदी का नाग लेकर वैदिक मंत्रों के साथ जल में प्रवाहित करना चाहिए। इसके बाद, व्यक्ति को प्रतिदिन तीन बार स्नान करके भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। शिवलीलामृत जैसे ग्रंथ का पाठ करना एक प्रभावी उपाय साबित हो सकता है। यह अनुष्ठान एक योग्य ब्राह्मण के मार्गदर्शन में करना चाहिए, जो सही वैदिक मंत्रों का उच्चारण कर सके। इसके साथ ही, उचित दक्षिणा और दान भी करना चाहिए ताकि पूरे उपाय का लाभ मिल सके।

इन सभी उपायों को नियमित रूप से और सही विधि से करने से कालसर्प दोष का प्रभाव कम हो सकता है, और व्यक्ति के जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि का आगमन होता है।

कालसर्प को हमेशा के लिए कैसे दूर करें?

यदि आप अपनी कुंडली से काल सर्प दोष को स्थायी रूप से समाप्त करना चाहते हैं, तो त्र्यंबकेश्वर में काल सर्प दोष पूजा करना सबसे प्रभावी और उचित उपाय है। इस पूजा के बाद काल सर्प दोष का प्रभाव काफी हद तक कम हो जाता है। त्र्यंबकेश्वर को काल सर्प दोष पूजा के लिए सर्वोत्तम स्थान माना जाता है, और यहाँ की विशेष पूजा से इस दोष से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है। इसलिए, अपनी कुंडली से काल सर्प दोष को हमेशा के लिए हटाने के लिए त्र्यंबकेश्वर में काल सर्प दोष पूजा करना अत्यधिक लाभकारी है।

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